Hindi Sahitya Ke Navras aur Rafi Sahab ki Aawaz (in Hindi)
Sunday, July 8th, 2012By Onika Setia

Mohd Rafi
हिंदी साहित्य का कला के साथ बहुत गहरा रिश्ता है या यह कहो की दोनों एक दुसरे के पूरक हैं .कला चाहे जो भी हो ;नृत्य,गायन, अभिनय, लेखन . हिंदी साहित्य इनकी आत्मा बन कर इसमें समाहित है. और हिदी साहित्य का मूल आधार है नव रस .
अर्थात प्रेम-( संयोग /वियोग) ,शांत ,रोद्र ,करुण, भक्ति , वीभत्स , हास्य, वीर , वात्सल्य . हर कला इन नवरसों के बीना अधूरी है .मनुष्य अपनी भाव अभिव्यक्ति कला के माध्यम से करता है और कला का स्थान मनुष्य के दिल में है ,आत्मा में है ,और अपने भावो को व्यक्त करने हेतु उसे कला का सहारा लेना पड़ता है ,कला मनुष्य के जीवन के साथ साथ चलती है मनुष्य का पूरा वजूद कला के बीना अधुरा है ,और एक कला ही है जो मनुष्य को मनुष्य बने रहने के प्रेरणा देती है. (more…)