Rafi Sahab Ka Smruti Din (in Hindi)
By Vijay Bavdekar and Yunus Sumra
संगीतकी दुनियाके तानसेनो तथा कानसेनो…… सदाबहार रफीसहब के सम्मानमे मेरी भावनाओंका गुलदस्ता पेश करता हूँ …..ऐ मोहम्मद रफ़ी तेरी रुखसतपर आंसू निकल पड़े थे …तेरी खामोशी दिल चीर गयी थी ….लेकिन यह सोचकर ऊपरवालेसे न कोई गिला किया था न कोई शिकवा,.के.शायद उसे भी तेरी याद सताती होगी ….उसकी संगीत सभा तेरेबिन अधूरी होगी ..यही सोचकर हम आंसू पी गए थे……ऐ रफ़ी तेरे मुहब्बत भरे,प्यारभरे अनगिनत नगमोने वो सुकून दिया जो जन्नत में भी नसीब नहीं होगा
….सलाम उन मौसिकारोंको जो नौशाद ,नय्यर शंकर -जयकिशन ,मदनमोहन,बर्मन,रोशन और न जाने कितनेही तुझमे समाते गए…..तुझमे छुपे कोहिनूरको उजागर करते हुए तराशते गए…यहांतक के खुद कोहिनूरने तेरी इन्द्रधनुष जैसी छटाओवाली आवाजपे सजदे किये….ऐ रफ़ी नीन्दमे तो क्या होश भूलकर भी कोई भूल नहीं सकता तेरी जादूभरी आवाज,तेरे दिल छू लेनेवाले नगमे जिन्होंने मुर्दोंकोभी जागनेपर मजबूर किया …दोस्तों ऊपरवालेसे दिलकी गहराईसे दरख्वास्त है के रफीको फिरसे हमें लौटादे…….लेकिन तुम गयेही कहाँ हो प्यारे दोस्त ,तुम तो हम सबके हिरदेमें परमात्मा के साथ विराजमान हो ….सच कहा था रफ़ी तूने ..वक्त मेरे गीतोंका खजाना ढूंढेगा .मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढेगा…..! विजय बावडेकर ,नागपुर .
Homage to Rafi Saheb – By Yunus Sumra
दिल पे छाई है मे ग़म की घटा आज की रात
आज है सूर के शाहेंशा की तारीखे वफात
याद है आज तक मुझ को वोह ग़मगीन समाँ
चाँद बदली माय था रोता था फलक आज की रात
गो के इन्सान ही बनाया था खुदा ने उस को
पर अता की थी इस को फरिश्तों की सिफात
उस की आवाज़ मे अल्लाह ने बख्शा था वोह सोज़
आज तक उस को न दे पाया कोई भी मात
एक से एक हैं यहाँ फन मे हैं अपने माहिर
प्यार करते हैं सभी जिस को वोह है उस की ज़ात
उस का किरदार रहा काबिले तकलीद यहाँ
मशाले राह बनी सब के लिये उस की हयात
अपने अल्लाह पे उस को भरोसा था पूरा इतना
ग़म जीने का था और न थी उसे फिकरे ममत
फखर से फूले न समाते थे मददाह उस के
बात जब उस की हो ,भाये न किसी और की बात
अब कोई रफ़ी फिर न होगा पैदा
यह हकीकत है ,नहीं इस मे कोई शको शुबहात
नूर से पूर है कबर मुनव्वर है हरदम उसकी
रोजे महशर भी मयस्सर हो उसे राहे निजात … आमीन
पूर न कर पाये गा कोई भी यहाँ उस को सलीम
रह गया जो खला उसका यहाँ बडे वफात
DIL KA SUNA SAJ TARANA DHUNDAGA ,RAFI TUGHKO TARE BAD JAMANA DHUDAGA
Dear Friends ,
I am one of the very few blessed mortals who had a once in a life time
moment of personally meeting RAFI saab on the 26th Jan 1980 at hotel
Cauveri Continental in Bangalore and spent a precious 45 minutes with
divinity .
Each time I hear Rafi saab I am transformed completely into the
sublime .
Rafi saab will alive as long as we are alive
I always thank God for being born in the same
era as of Rafiaab”s .
Congrats to MOHDRAFI for the great endeavour .
Regards
Bapat
Badsha Rafi sang in movie;Khoda ka Banda:Kuch Neek Kaam Kardja Dunieja mee naam Kardja…I think this is very suitable to Rafi saheb,jai ketwaru
dear vijay and yunus bhai,
har baras ki tarah iss saal bhi ,Rafi sahab ki barsi ke avsar par mein santacruz mumbai mein rafi sahab ki mazaar par shraddhanjali dene gaya tha , wahan par jaa kar man ko shanti milti hai aur mere jaise aur bhi rafi bhakt aate hai jinse mulakaat ho jaati hai .
shubhkaamanaayon ke saath
vinod mehru
09768245368
suhan aalah ! what a poetry on rafi sahab ! I like it.